2024 में गन्ना वैज्ञानिक की सलाह ऐसे करें खेती : दोमट भूमि जिसमें आमतौर पर गन्ने की खेती की जाती है, वहां 12 से 15 प्रतिशत मिट्टी की नमी अच्छे संचय के लिए उपयुक्त होती है। यदि मिट्टी में नमी की कमी हो तो बुआई से पहले निराई-गुड़ाई करके इसकी भरपाई की जा सकती है। वर्षा होने पर मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई तथा 2-3 उथली जुताई करके खेत को जमा देना चाहिए।
गन्ने की खेती के लिए यह उपयुक्त समय है गन्ना वैज्ञानिक
वैज्ञानिक डॉ. ए.के. सिंह ने कहा कि गन्ना एक नकदी फसल है। बुआई से पहले किस्मों का चयन करना बहुत जरूरी है. ऐसे में किसान मार्च तक गन्ने की फसल लगा सकते हैं. अगर किसान इस विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए बीज राजेंद्र गन्ना 1, राजेंद्र गन्ना 3 और राजेंद्र गन्ना 5 की खेती करें तो उन्हें अच्छा मुनाफा होगा, क्योंकि इन सभी गन्ने से चीनी का उत्पादन अधिक होता है. गन्ना वैज्ञानिक
गन्ने की इस किस्म की बढ़ रही है मांग, किसानों के लिए है वरदान।
किसानों को जागरूक किया जा रहा है
संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके लिए गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है. साथ ही कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों के सहयोग से इसे धरातल पर लाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. अब तक संस्थान के छात्र और टीम 40 से अधिक गांवों का दौरा कर चुके हैं।
गन्ने के साथ अन्य फसलें भी बोई जा सकती हैं।
डॉ. देवेन्द्र कुमार आगे बताते हैं, “गन्ने के साथ-साथ किसान आलू, लहसुन, मिर्च, सरसों, चना, राजमा आदि फसलें भी उगा सकते हैं। इससे न सिर्फ किसानों का मुनाफा दोगुना होगा, बल्कि गन्ने का उत्पादन भी बढ़ेगा। ग्रीष्मकालीन बुआई से अधिक हो। उन्होंने कहा कि अब तक हुए प्रयोगों में यह विधि किसानों के लिए लाभकारी साबित हुई है।
जानिए क्या है ट्रेंच विधि
कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार ने बताया कि इस विधि में खेत तैयार करने के बाद ट्रेंच ओपनर से लगभग एक फीट चौड़ी और लगभग 25 से 30 सेंटीमीटर गहरी नाली बनाई जाती है. एक नाले से दूसरे नाले की दूरी लगभग एक मीटर होनी चाहिए। इसी प्रकार पूरे खेत में ट्रेंच तैयार कर लें और बुआई के समय सबसे पहले ट्रेंच में उर्वरक डालना चाहिए. इसके अलावा रासायनिक उर्वरकों में डीएपी, यूरिया और पोटाश भी मिलाया जा सकता है.
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गन्ने के साथ अन्य फसलें भी बोई जा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि गन्ने की खेती कतारों में की जाती है। ऐसे में किसान गन्ने के साथ-साथ मूंग, प्याज, मिर्च आदि फसलें भी उगा सकते हैं। इससे न सिर्फ किसान दोगुना मुनाफा कमाएंगे बल्कि गन्ने का उत्पादन भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अब तक हुए प्रयोगों में यह विधि किसानों के लिए लाभकारी साबित हुई है। गन्ना वैज्ञानिक
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ऐसे करें ट्रेंच विधि से गन्ने की बुआई और गहाई।
गन्ने की बुआई के लिए गन्ने के दो आँख उपचारित टुकड़ों को 10 से 12 प्रति मीटर की दर से तैयार नालियों में इस प्रकार डालें कि उनकी आँखें अगल-बगल रहें। गन्ने के टुकड़ों को दीमक और अंकुर छेदक कीटों से बचाने के लिए रिजल्ट 20 किलोग्राम या फोरेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें. इसके अलावा गन्ने के टुकड़ों को इस तरह ढकें कि दो से तीन सेंटीमीटर से ज्यादा मिट्टी गन्ने के टुकड़ों पर न गिरे.
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