2024 गन्ना की खेती में नई तकनीक, होगा फायदा मिलेगी अधिक पैदावार कम लागत और समय की होगी बचत।

गन्ने की कटाई में लगभग कितना समय लगता है?

2024 गन्ना की खेती में नई तकनीक : इसमें फरवरी से मार्च तक फसलें बोई जाती हैं. इसमें फसल 10 से 12 महीने में तैयार हो जाती है. शरदकालीन गन्ना वसंत ऋतु में बोए गए गन्ने की तुलना में 25-30 प्रतिशत अधिक उपज देता है और ग्रीष्मकालीन गन्ने की तुलना में 30-40 प्रतिशत अधिक उपज देता है। गर्मी के मौसम में 15 मई से पहले खेत की गहरी जुताई करें.

बड चिप तकनीक से गन्ना रोपण

इसके बाद गन्ने की आंखों को प्लास्टिक में बोने के बाद नियमित रूप से समय-समय पर हल्की सिंचाई करनी होगी. कृपया ध्यान दें कि ऐसा करने के बाद तीसरे सप्ताह में नर्सरी के पौधों पर एग्रोकेमिकल पीजीआर का छिड़काव भी करना होगा.

और फिर ट्रेन में लगाई गई गन्ने की नर्सरी लगभग 6 से 7 सप्ताह में तैयार हो जाएगी. इसके बाद किसानों को सावधानी से बाहर निकालें. फिर किसानों को लाइन से लाइन की दूरी 70 सेमी और प्रत्येक पौधे से 30 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए. वहीं, किसानों को अपने खेतों में गन्ना बोने से पहले हल्की सिंचाई कर लेनी चाहिए और रोपी गई नर्सरी मिट्टी में अच्छी तरह जड़ जमा लेने के बाद ही खेत में कोई अन्य कार्य कर सकते हैं.

गन्ना की खेती में नई तकनीक

इस तकनीक से बुआई करने के बाद फसल को समय-समय पर हल्का पानी दिया जाता है. जब तक फसल तैयार नहीं हो जाती तब तक कोई रोग नहीं लगता। गन्ने की फसल में कीटनाशकों और उर्वरकों के बढ़ते उपयोग को देखते हुए यह तकनीक बहुत सस्ती है। इससे पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी और प्रति बीघे लागत करीब तीन हजार रुपये कम हो जायेगी. इस अवसर पर गन्ना मिल कर्मी संजीव सैनी आदि सहित चीनी मिल के गन्ना विकास कर्मचारी व आसपास के किसान भी मौजूद रहे।

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बड चिप प्रौद्योगिकी के क्या लाभ हैं?

अब किसानों के मन में सवाल होगा कि इससे क्या फायदा होगा. तो हम आपको बता दें कि इससे जो किसान पहले पारंपरिक तरीके से गन्ने की बुआई करते थे। इसमें तीन आंखों वाले गन्ने का उपयोग बुआई के लिए किया जाता था। अब उसकी जगह एक आंख वाले बीच वाले का ही इस्तेमाल किया जाएगा। जिससे उन्हें बीच-बीच में कम मात्रा का उपयोग करना पड़ेगा। पारंपरिक तकनीक के कारण किसानों को 1 एकड़ में लगभग 30 क्विंटल गन्ने के बीज की आवश्यकता होती थी। वहां उन्हें मात्र चार क्विंटल गन्ना बीज का उपयोग करना होगा. इसके अलावा किसान रबी की फसल की बुआई करा लें। इनकी कटाई से पहले ही नर्सरी तैयार हो जाएगी और समय की भी बचत होगी।

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