जल्द देखे 2024 में खेत में नमक डालने से होते है ये फायदे और नुकसान।

खेत में नमक :- आपने किसानों को अपनी फसलों को कीटों से बचाने और उनकी पैदावार बढ़ाने के लिए तरह-तरह की दवाइयां और खाद डालते हुए देखा होगा, लेकिन इन दिनों इलाके के किसान उत्पादन बढ़ाने और अपनी फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए नमक का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में फसल बचाना तो दूर, मिट्टी की लवणता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। बढ़ती लवणता के कारण भूमि भी बंजर होती जा रही है। अगर किसान इसी तरह हर फसल में साल-दो साल में नमक डालते रहेंगे तो न सिर्फ फसल उत्पादन प्रभावित होगा, बल्कि मिट्टी पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

गौरतलब है कि इन दिनों क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मूंगफली की फसल बोई गई है और फसल खेतों में लहलहा रही है. एक सप्ताह पहले हुई बारिश के बाद खेतों में खड़ी मूंगफली की फसल में जड़ गलन रोग देखने को मिल रहा है। इससे मूंगफली का पौधा जमीन के पास सड़ जाता है, काला पड़ जाता है और सूख जाता है। इस बीमारी से बचने के लिए जागरूकता की कमी के कारण किसान अपने खेतों में अंधाधुंध नमक डालकर अपनी फसलों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बीमारी को रोकने के बजाय नमक डालने से वास्तव में मिट्टी को नुकसान पहुंच रहा है।

मिट्टी जल्दी घुल जाती है

दरअसल, मिट्टी से ईद बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी को घोलना पड़ता है। सामान्य प्रक्रिया से मिट्टी को घुलने में कुछ समय लगता है, लेकिन अगर इसमें नमक मिला दिया जाये तो यह बहुत जल्दी घुल जाती है। कुछ भट्ठा मालिक लालच के कारण ऐसा करते हैं, लेकिन इसके कई नुकसान हैं।

जल्द देखे खेत में नमक डालने से होते है ये फायदे और नुकसान।

इससे फायदा है या नुकसान?

यह नमक ईंट बनाने वाले मजदूरों को बीमारियों से ग्रसित कर सकता है। इससे मिट्टी मिलाने (गारा बनाने) वाले मजदूरों के हाथ-पैर पिघलने लगते हैं। वे कई प्रकार के त्वचा रोगों की चपेट में आ जाते हैं। इतना ही नहीं इससे घर बनाने वाले को भी नुकसान होता है। नमक मिली मिट्टी से बनी ईंटें नींव को कमजोर कर देती हैं और उन पर लगा प्लास्टर भी जल्दी झड़ने लगता है।

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उन्होंने बताया कि धान के बीज को नमक के घोल में रखने से ठोस एवं अच्छे बीज प्राप्त होते हैं। साथ ही कुपोषित बीज भी अलग हो जाते हैं। इसकी विधि बताते हुए चौधरी ने कहा कि घोल बनाने के लिए सबसे पहले 10 लीटर पानी में 1.750 किलो नमक डालकर मिलाएं. यह जांचने के लिए कि नमक का घोल सही तरीके से तैयार किया गया है या नहीं, इसमें एक अंडा डालें और यह सतह पर तैरने लगेगा। इसके बाद घरेलू धान के बीजों को उपचारित करने के लिए इन्हें नमक के घोल में लगभग 1 घंटे के लिए भिगोकर अच्छी तरह मिला लें. इससे हल्के एवं कुपोषित बीज पैदा होंगे। ख़राब बीज सतह पर बैठ जायेंगे।

इस विधि को दोपहर की धूप में 45 डिग्री तापमान पर करने से घरेलू धान के बीज में मौजूद फंगस और बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं। कृषि अधिकारी बीएल गजभिए ने किसानों को बीजोपचार से होने वाले लाभ और फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता के संबंध में जानकारी दी।

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